अगर खुद पर विजय नहीं, तो पद और प्रसिद्धि व्यर्थ है।


— सफलता वहीं जाती है, जहाँ संयम और आत्मनियंत्रण का साम्राज्य होता है।


प्रस्तावना:

हर कोई आज ऊँचाई पर पहुँचना चाहता है। कोई बड़ा अफसर बनना चाहता है, कोई बड़ा नेता, कोई बिजनेसमैन, कलाकार या समाज सुधारक। हर मन में यही सवाल गूंजता है – “मैं कुछ बड़ा करूं, कुछ ऐसा कि दुनिया याद रखे।”

पर रुकिए…

क्या आपने कभी खुद से पूछा —
क्या आप अपने क्रोध पर नियंत्रण रखते हैं?
क्या आपका कर्म सही दिशा में है?
क्या भय आपको हर बार रोक नहीं देता?

यदि इनका उत्तर ‘नहीं’ है, तो फिर आप किसी भी ऊँचाई पर पहुँच जाएँ — वो ऊँचाई खोखली होगी, डगमगाएगी और अंततः आपको गिरा देगी।


भाग 1: कर्म पर नियंत्रण — वही असली योग है

श्रीमद्भागवत में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं:

“कर्म करो, फल की चिंता मत करो।”

लेकिन आज तो लोग कर्म ही भूल बैठे हैं।

  • कोई shortcuts से सफल होना चाहता है,
  • कोई दूसरों की नकल करके,
  • कोई भाग्य का सहारा लेकर...

पर सच्चा कर्म वह है जो कर्तव्य, निष्ठा और सेवा के साथ किया जाए।

🎯 महापुरुषों का दृष्टांत:

स्वामी विवेकानंद ने जब शिकागो सम्मेलन में भाषण दिया, तो उन्होंने प्रसिद्धि के लिए नहीं, सनातन धर्म की सच्चाई को विश्व के सामने रखने के लिए किया।

उन्होंने पहले खुद पर विजय पाई — अपनी इच्छाओं, नींद, भूख, भय, क्रोध — इन सबसे!
तभी वे आज भी भारत के हर युवा की प्रेरणा हैं।


💢 भाग 2: क्रोध पर नियंत्रण — नहीं तो शक्ति भी विनाशक बन जाती है

हनुमान जी, जब अशोक वाटिका में सीता माता से मिलते हैं, तो उनके भीतर आग जलती है। रावण ने उन्हें अपमानित किया, पूंछ में आग लगाई।

पर देखिए — हनुमान ने क्रोध को नियंत्रण में रखा।
उन्होंने बिना सीता माता से अनुमति लिए लंका नहीं जलाई।
यह दिखाता है कि विवेकशील क्रोध ही धर्म रक्षक बनता है।

“जहाँ विवेक का दीपक बुझता है, वहाँ क्रोध अंधकार फैलाता है।”

🧘‍♂️ बुद्ध की सीख:

बुद्ध के पास जब एक व्यक्ति ने आकर गालियाँ दीं, वे शांत रहे।
कहा:

“मैं उपहार नहीं स्वीकारता। तुम्हारी गालियाँ तुम्हारे पास ही रहेंगी।”

कैसी अद्भुत बात!
यदि हम क्रोध को जीत लें — तो फिर कोई भी हमें हार नहीं सकता।


⚔️ भाग 3: भय पर नियंत्रण — डर गया तो मर गया!

हर बड़े सपने से पहले एक डर आता है।

  • "लोग क्या कहेंगे?"
  • "अगर असफल हो गया तो?"
  • "इतनी बड़ी जिम्मेदारी उठा पाऊंगा या नहीं?"

लेकिन याद रखिए — डर केवल भ्रम है।
जो इससे लड़ गया, वही अमर बन गया।

🔱 प्रह्लाद की अमर कहानी:

एक बालक, जो रोज़ विष्णु का नाम जपता था —
जिसे उबलते तेल में डाला गया, पहाड़ से गिराया गया, हाथी के सामने रखा गया… पर वह डरा नहीं।

उसका विश्वास अडिग रहा।
और अंत में भगवान स्वयं प्रकट हुए।

यह कोई पुरानी कथा नहीं — यह आत्मविश्वास की मूर्ति है।


🎯 तो आज आप खुद से पूछिए:

✅ क्या मैं अपने कर्म पर नियंत्रण रखता हूँ?
✅ क्या मैं गुस्से में बहकर अपने रिश्ते और निर्णय खराब करता हूँ?
✅ क्या मैं हर बार डरकर अपने सपनों को अधूरा छोड़ देता हूँ?

अगर इनका जवाब ‘हां’ है — तो समझिए, यही बदलाव का समय है।


🌟 निष्कर्ष: स्वयं को जीतो, फिर सारा संसार तुम्हारा है!

“जो स्वयं को जीत ले, वही असली राजा है।” – श्रीमद्भागवत
“तप से बड़ी कोई विजय नहीं, और संयम से बड़ा कोई शस्त्र नहीं।” – सुंदरकांड

🎇 अगर आप सच में बड़ा पद, बड़ी सफलता और बड़ा नाम चाहते हैं –

तो आज से शुरुआत करें –

  • कर्म की शुद्धता से,
  • क्रोध की वशता से,
  • और भय की समाप्ति से।

क्योंकि दुनिया उसी को सलाम करती है —
जो बाहर की दुनिया से पहले, अपने भीतर की दुनिया को जीत लेता है।


🌈 “पहले खुद पर विजय पाओ, फिर शिखर तुम्हारा इंतजार करता है।”

जय श्रीराम। जय श्रीकृष्ण।



टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

संकल्प, संस्कार और आध्यात्म की शक्ति

" Problem बड़ा या Benefit "

मैं क्यों हूँ? मेरा उद्देश्य क्या है?