माता-पिता बच्चों के रोल मॉडल बनें
Parenting – माता-पिता की भूमिका और उनके व्यवहार की कला
परिचय (Introduction):
माता-पिता बनना ईश्वर द्वारा दिया गया सबसे महान उपहार और सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी भी है। परवरिश केवल बच्चों को खाना-पीना और शिक्षा देना ही नहीं है, बल्कि उन्हें संस्कार देना, चरित्र निर्माण करना और जीवन जीने की कला सिखाना भी है। आज के दौर में जहां बच्चे कई प्रकार के मानसिक, सामाजिक और डिजिटल दबावों से गुजर रहे हैं, वहां स्नेहपूर्ण लेकिन तर्कसंगत परवरिश की अत्यधिक आवश्यकता है।
1. परवरिश का आधार – प्रेम और अनुशासन का संतुलन
अच्छी परवरिश की नींव दो मजबूत स्तंभों पर टिकी होती है – निर्विवाद प्रेम और संतुलित अनुशासन।
जहाँ अत्यधिक ढील बच्चों को स्वेच्छाचारी बना सकती है, वहीं कठोर अनुशासन उन्हें विद्रोही बना देता है। एक समझदार माता-पिता वही है जो समय और परिस्थिति के अनुसार प्रेम और अनुशासन का सही अनुपात बनाए रखे।
उदाहरण के लिए:
जब बच्चा गलती करे, तो उसे तुरंत सजा देने के बजाय शांत होकर समझाना ज्यादा प्रभावशाली होता है। उसे यह महसूस कराना कि उसकी गलती का असर दूसरों पर क्या हुआ, एक बेहतर सीख बन जाती है।
2. संवाद – बच्चों से बात करें, डांट नहीं
अक्सर माता-पिता यह मान लेते हैं कि बच्चों को बस आदेश देना ही पर्याप्त है, लेकिन आज के बच्चों को केवल निर्देश नहीं चाहिए – उन्हें संवाद, समझ और सम्मान चाहिए।
- बातचीत को आदत बनाएं – रोज़ उनके दिन के बारे में पूछिए, उनकी राय लीजिए।
- उनकी भावनाओं को महत्व दीजिए – “तू अभी छोटा है, तुझे क्या समझ” जैसे वाक्य बच्चों के आत्मविश्वास को तोड़ सकते हैं।
- उन्हें खुलकर बोलने दें – जब बच्चा अपनी बात बिना डरे कह सके, तभी वह असली समझ और आत्मबल से बढ़ता है।
3. रोल मॉडल बनें – जैसा देखेंगे, वैसा सीखेंगे
बच्चे वही सीखते हैं जो वे अपने माता-पिता को करते देखते हैं। अगर आप खुद समय के पाबंद, ईमानदार और सकारात्मक सोच वाले हैं, तो बच्चों में यह गुण स्वतः आ जाते हैं।
“बच्चे कान से नहीं, आँखों से सीखते हैं।”
अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा सच बोले, तो पहले खुद हर स्थिति में सच बोलने की आदत डालिए।
4. बच्चों को चुनने की आज़ादी दें
बच्चों को हर बात में आदेश देना उन्हें आत्मनिर्भर नहीं बनाता।
उन्हें छोटे-छोटे निर्णय लेने का अवसर दें – जैसे क्या पहनना है, क्या खाना है, किस खेल में भाग लेना है।
जब वे स्वयं निर्णय लेते हैं, तो उनके अंदर जिम्मेदारी की भावना विकसित होती है।
Parenting with logic का यही मूल मंत्र है –
“Allow the child to make safe mistakes, so they learn responsibility.”
5. गुस्से को प्यार में बदलें – खुद को संयमित करें
माता-पिता का गुस्सा बच्चों के मन पर बहुत गहरा प्रभाव डालता है।
- गुस्से में कही गई बात उन्हें वर्षों तक चुभ सकती है।
- ज़ोर से चिल्लाने पर बच्चा सुनता नहीं, डरता है – और डर से सीखी गई बात टिकती नहीं।
गुस्से को नियंत्रण में रखने के उपाय:
- गिनती गिनें (1 से 10 तक)
- कमरे से कुछ देर के लिए बाहर जाएं
- गहरी सांसें लें और खुद को याद दिलाएं – “मैं अपने बच्चे को सुधारना चाहता हूं, तोड़ना नहीं।”
6. तकनीक का संतुलित उपयोग सिखाएं
आज के बच्चे डिजिटल दुनिया में जी रहे हैं। मोबाइल, टीवी, गेम्स से पूरी तरह दूर रखना न संभव है, न व्यावहारिक।
लेकिन इस पर संयम जरूरी है।
- नियम बनाएं – जैसे हर दिन 1 घंटे स्क्रीन टाइम
- साथ बैठकर देखें – कुछ कार्यक्रम परिवार के साथ देखें, ताकि आप मार्गदर्शन कर सकें
- वैकल्पिक गतिविधियां दें – पढ़ना, चित्रकारी, आउटडोर खेल जैसे विकल्प से बच्चे का ध्यान तकनीक से हटाया जा सकता है।
7. बच्चों की तुलना न करें
“तेरा भाई तो हमेशा फर्स्ट आता है”, “देखो शर्मा जी की बेटी कितनी समझदार है” – ऐसी बातें बच्चों के आत्मविश्वास को नष्ट कर देती हैं।
हर बच्चा विशेष होता है। उसकी अपनी गति होती है, अपनी रूचियां होती हैं। उसे पहचानिए, स्वीकार कीजिए और उसी दिशा में मार्गदर्शन दीजिए।
8. आध्यात्मिक और नैतिक शिक्षा दें
बच्चों को बचपन से ही ईश्वर, धर्म, संस्कृति, और नैतिक मूल्यों से जोड़ना चाहिए।
- उन्हें पूजा, प्रार्थना, त्यौहार और धार्मिक ग्रंथों की कहानियों से परिचित कराएं।
- उन्हें सच, करुणा, क्षमा, सहयोग, और कृतज्ञता जैसे मूल्यों का महत्व समझाएं।
“श्रीराम, श्रीकृष्ण, विवेकानंद, गांधी – ये सब अपने माता-पिता से ही प्रभावित हुए।”
निष्कर्ष (Conclusion):
Parenting एक सतत यात्रा है जिसमें हर दिन सीखने और सिखाने का अवसर होता है।
- प्रेम दीजिए, लेकिन लाड़ से नहीं
- अनुशासन रखिए, लेकिन डराकर नहीं
- संवाद कीजिए, लेकिन उपदेश नहीं
- आदर्श बनिए, केवल आदेश मत दीजिए
बच्चों की परवरिश कोई एक दिन का काम नहीं, बल्कि जीवन की सबसे सुंदर साधना है। एक समझदार, स्नेहिल और विवेकपूर्ण माता-पिता न केवल अपने बच्चों का भविष्य गढ़ते हैं, बल्कि एक सुंदर समाज की नींव रखते हैं।
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