सुनना: सफलता और समझ का रहस्य
सुनना: सफलता और समझ का रहस्य – Rakesh Mishra की कलम से
महापुरुषों ने सदैव यह सिखाया है कि सुनना एक महान कला है, और जो व्यक्ति दूसरों की बात ध्यान से सुनता है, वह अपने जीवन में नई सीख और संभावनाओं को जन्म देता है। भगवान बुद्ध ने कहा था, "सुनने से ज्ञान बढ़ता है, बोलने से नहीं।" वास्तव में, जब हम केवल अपनी बात कहते हैं, तो हम वही दोहराते हैं जो हमें पहले से पता है, लेकिन जब हम ध्यान से सुनते हैं, तो हमें कुछ नया सीखने का अवसर मिलता है।
सुनने का महत्व और महापुरुषों की सीख
महात्मा गांधी का एक प्रसिद्ध विचार है, "अगर आप सच में किसी को समझना चाहते हैं, तो उसकी बात ध्यान से सुनें।" एक प्रभावी नेता और एक अच्छा इंसान वही होता है जो दूसरों की बातों में छिपे गहरे संदेश को समझ सके। स्वामी विवेकानंद भी कहते थे, "एक महान व्यक्ति वह नहीं होता जो केवल बोलता है, बल्कि वह होता है जो दूसरों की बातों को गहराई से समझता है।"
अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट ने कहा था, "Be sincere; be brief; be seated." इसका अर्थ है कि संवाद करते समय जितना जरूरी बोलना है, उतना ही जरूरी दूसरों को सुनना भी है।
जब हम किसी व्यक्ति की बात सुनते हैं, तो हमें कई बार ऐसा महसूस होता है कि उसकी सोच हमारे दृष्टिकोण से अलग है। लेकिन यदि हम धैर्यपूर्वक उसकी बातों को सुनें और उन पर विचार करें, तो हमें उसमें हित का तत्व भी दिखाई दे सकता है। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन से एक प्रेरणादायक उदाहरण लिया जा सकता है। जब वे DRDO में कार्यरत थे, तब एक जूनियर वैज्ञानिक ने उन्हें सुझाव दिया कि किसी प्रयोग के परिणामों पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। कलाम जी ने उसकी बात ध्यान से सुनी और परीक्षण को दोबारा किया गया, जिससे एक महत्वपूर्ण सुधार हुआ। यह घटना यह सिद्ध करती है कि किसी भी व्यक्ति की बात में हीत का तत्त्व हो सकता है, चाहे वह पद या अनुभव में छोटा ही क्यों न हो।
सफलता और रिश्तों में सुनने की भूमिका
व्यक्तिगत जीवन में भी सुनने की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जब हम अपने परिवार, मित्रों और सहकर्मियों की बात ध्यान से सुनते हैं, तो उनके साथ हमारा संबंध मजबूत होता है। किसी भी रिश्ते में संवाद जितना महत्वपूर्ण होता है, उतना ही महत्वपूर्ण ध्यानपूर्वक सुनना भी है।
डेल कार्नेगी ने कहा था, "When we talk, we are only repeating what we already know. But if we listen, we may learn something new." अर्थात जब हम बोलते हैं, तो वही दोहराते हैं जो हमें पहले से आता है, लेकिन जब हम सुनते हैं, तो हमें कुछ नया सीखने को मिलता है।
एक अच्छा श्रोता बनने से न केवल आप ज्ञान अर्जित कर सकते हैं, बल्कि लोगों का विश्वास भी जीत सकते हैं।
"सफल व्यक्ति वही होता है जो केवल अपने विचारों को नहीं फैलाता, बल्कि दूसरों के विचारों को भी अपनाने की क्षमता रखता है।" यदि हम अपने अहंकार को त्यागकर सामने वाले की बात ध्यान से सुनें, तो न केवल हम ज्ञान, संबंध और सफलता में आगे बढ़ेंगे, बल्कि समाज और राष्ट्र के उत्थान में भी योगदान देंगे।
सुनना केवल कानों से नहीं, बल्कि मन और आत्मा से भी होना चाहिए।
निष्कर्ष
एक सफल जीवन के लिए केवल बोलने की कला आना ही जरूरी नहीं, बल्कि सुनने की कला भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। जब हम दूसरों की बातों को ध्यान से सुनते हैं, तो हमें कई बार ऐसे विचार और अवसर मिलते हैं, जिनसे हम पहले अनजान होते हैं। महापुरुषों की सीख और ऐतिहासिक उदाहरणों से यह स्पष्ट होता है कि ध्यानपूर्वक सुनने से हम न केवल व्यक्तिगत विकास कर सकते हैं, बल्कि समाज को भी नई ऊंचाइयों तक ले जा सकते हैं।
तो आइए, आज से हम सिर्फ बोलने के लिए नहीं, बल्कि सीखने और समझने के लिए भी सुनना शुरू करें।
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