शब्दों से नहीं, अपने कर्मों से उत्तर दो

शब्दों से नहीं, अपने कर्मों से उत्तर दो

जीवन में हर व्यक्ति को कभी न कभी आलोचनाओं, तानों और अविश्वास का सामना करना पड़ता है। जब आप कुछ नया करने की सोचते हैं, जब आप अपने सपनों की उड़ान भरने की तैयारी करते हैं, तो अक्सर लोग आपको हतोत्साहित करने लगते हैं। वे कहते हैं – "तुमसे नहीं होगा," "यह बहुत मुश्किल है," या "बेहतर होगा कि तुम कोई आसान रास्ता चुन लो।"

लेकिन इतिहास गवाह है कि जो लोग इन तानों का उत्तर शब्दों से नहीं, बल्कि अपने कर्मों से देते हैं, वे ही असली विजेता बनते हैं।

कर्मों की ताकत – एक प्रेरक कहानी

एक छोटे से गाँव में एक लड़का था, जिसे पत्थरों की मूर्तियाँ बनाने का शौक था। वह दिन-रात मेहनत करता, पर गाँव के लोग उस पर हंसते और कहते,

  • "इतनी मेहनत कर रहा है, लेकिन कोई इसे महत्व नहीं देगा!"
  • "इससे तो अच्छा कोई और काम कर लेता!"
  • "इससे बड़ा आदमी नहीं बनेगा, यह मूर्तियाँ कोई नहीं खरीदेगा।"

लेकिन वह लड़का चुप रहा। उसने किसी को सफाई नहीं दी, किसी से बहस नहीं की। उसने बस अपने काम को और निखारने में ध्यान लगाया।

कुछ साल बाद, उसकी कला इतनी प्रसिद्ध हो गई कि शहर के राजा ने उसे राजमहल की मूर्तियाँ बनाने का आदेश दिया। आज वही लोग, जो उसका मज़ाक उड़ाते थे, उसकी तारीफ करते नहीं थकते थे। उन्होंने स्वीकार किया कि उनका आकलन गलत था।

यह कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में लोग जो भी कहें, हमें उनकी बातों से विचलित नहीं होना चाहिए। हमें अपने कर्मों से जवाब देना चाहिए।

आलोचना से बचने का सबसे अच्छा तरीका – सफलता

जब भी आप कुछ बड़ा करने की कोशिश करेंगे, तो आलोचक ज़रूर मिलेंगे। लेकिन आप उन्हें सफाई देने में समय बर्बाद नहीं कर सकते। जो लोग आपको नीचे गिराने की कोशिश करते हैं, उनका सबसे अच्छा उत्तर आपकी सफलता होगी।

अगर किसी ने कहा कि आप किसी लक्ष्य को हासिल नहीं कर सकते, तो आपको सफाई देने की ज़रूरत नहीं है। आपको बस इतना करना है कि चुपचाप मेहनत करें और अपने कर्मों से साबित करें कि वे गलत थे।

शिक्षा और प्रेरणा

  • शब्दों से नहीं, कर्मों से जवाब दें।
  • जो आलोचना करता है, उसे सफाई न दें – सफलता ही सबसे बड़ा उत्तर है।
  • लोगों को बोलने दें, आप अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करें।

निष्कर्ष

इस दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं – एक जो दूसरों पर शक करते हैं, और दूसरे जो खुद पर विश्वास रखते हैं। जो खुद पर विश्वास रखते हैं, वे कभी सफाई नहीं देते, वे बस काम में जुट जाते हैं।

इसलिए, अगली बार जब कोई कहे कि "तुमसे नहीं होगा," तो उन्हें जवाब मत देना।
बस मुस्कुराओ, मेहनत करो और एक दिन अपने कर्मों से ऐसा कर दिखाओ कि वही लोग कहें – "हमें तुम पर गर्व है!"

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

संकल्प, संस्कार और आध्यात्म की शक्ति

" Problem बड़ा या Benefit "

मैं क्यों हूँ? मेरा उद्देश्य क्या है?